करू बेनंती दोउ कर जोरी
अरज सुनो राधास्वामी मोरी
सतपुरुष तुम सतगुरू दाता
सब जीवन के पितु और माता
दया धार अपना कर लीजे
काल जाल से न्यारा कीजे
करू बेनंती दोउ कर जोरी.........
सतयुग त्रेता द्वापर बीता
काहू ना जानी शब्द की रीता
कलयुग में स्वामी दया विचारी
परगट करके शब्द पुकारी
जीव काज स्वामी जग में आए
भो सागर से पार लगाए
करू बेनंती दोउ कर जोरी.........
तीन छोड़ चोथा पद दीना
सतनाम सात गुरु गत चीना
जगमत ज्योत होत उजियारा
गगन सेहत पर चंद्र निहारा
सेत सिहासन छत्र बिराजे
अनहद शब्द गेहब धुन गाजे
करू बेनंती दोउ कर जोरी.........
शर अक्षर निरक्षर पारा
विनती करे जहां दास तुम्हारा
लोकअलोक पाऊ सुख धामा
चरण शरण दीजे बिसरामा
करू बेनंती दोउ कर जोरी
अरज सुनो राधास्वामी मोरी
करू बेनंती दोउ कर जोरी.........
करू बेनंती दोउ कर जोरी
अरज सुनो राधास्वामी मोरी
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