Wednesday 9 January 2019

तुम शरणाई आया ठाकुर

तुम शरणाई आया ठाकुर
तुम शरणाई आया ठाकुर ॥

उतरि गइओ मेरे मन का संसा जब ते दरसनु पाइआ ॥
तुम शरणाई आया ठाकुर

अनबोलत मेरी बिरथा जानी अपना नामु जपाइआ ॥
तुम शरणाई आया ठाकुर

दुख नाठे सुख सहजि समाए अनद अनद गुण गाइआ ॥
तुम शरणाई आया ठाकुर

बाह पकरि कढि लीने अपुने ग्रिह अंध कूप ते माइआ ॥
तुम शरणाई आया ठाकुर

कहु नानक गुरि बंधन काटे बिछुरत आनि मिलाइआ ॥
तुम शरणाई आया ठाकुर

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